DESK : साल 2021 जल्द ही खत्म होने वाला है. नए साल के शुरू होने में अब कुछ ही घंटे बाकी है. सभी लोग बेसब्री से साल 2022 का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में अब सभी लोग साल भर हुए घटनाक्रमों और बीते पलों को एक बार फिर याद कर रहे है.। कोरोना के साथ बीते इस एक और साल में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले. देश- दुनिया भर में कई बदलाव दिखाई दिए. भारत की राजनीति में भी इस साल काफी कुछ देखने को मिला. यह साल एक ओर जहां कई ऐतिहासिक फैसलों का साक्षी बना तो वहीं दूसरी ओर कई बड़े राजनेताओं ने इस दुनिया को अलविदा भी कह दिया. आइए जानते हैं उन राजनेताओं के बारे में जिन्होंने इस साल दुनिया को अलविदा कह दिया-
कल्याण सिंह – कल्याण सिंह (5 जनवरी 1932 – 21 अगस्त 2021).इन्होंने भारतीय राजनीति के साथ साथ दुनिया को 89 साल के उम्र में अलविदा कह दिया. वो राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे.इससे पहले वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. उन्हें प्रखर राष्ट्रवादी राजनेता के रूप में जाना जाता था.उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के दौरान चर्चित बाबरी मस्जिद कांड हुआ था.
रघुवंश प्रसाद सिंह – डाक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह का जन्म 6 जून, 1946 को हुआ था. भारत के चौदहवीं लोकसभा के सदस्य एवं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. श्री सिंह ग्रामीण विकास मंत्रालय का कामकाज संभालते थे. वे यूपीए सरकार में राष्ट्रीय जनता दल का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. श्री सिंह बिहार के वैशाली लोकसभा क्षेत्र से चुनकर आये थे. 13 सितम्बर 2021 को इनका निधन हो गया.
बूटा सिंह – बूटा सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. देश के केंद्रीय गृह मंत्री और बिहार के राज्यपाल भी थे. वर्ष 2007 से 2010 तक अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष रहे. उनका जन्म 21 मार्च 1934 को पंजाब के जालंधर में हुआ. 86 साल के उम्र में उनका देहांत 2 जनवरी 2021 को ब्रेन हैमरेज की वजह से हुआ.
मेवालाल चौधरी – मेवालाल चौधरी बिहार के तारापुर सीट से राष्ट्रीय जनता दल के विधायक थे. बिहार के पूर्व शिक्षामंत्री भी रह चुके है. इनका निधन 68 साल की उम्र में हो गया. 19 अप्रैल 2021 को पटना के निजी अस्पताल ‘पारस’ में अंतिम सांस ली.
सदानंद सिंह – बिहार की राजनीति में सदानंद सिंह उन गिने चुने नेताओं में हैं जिन्होंने जिस पार्टी में अपने करियर की शुरूआत की वहीं अंतिम सांस तक बने रहे. 1990 के दौर में बिहार में इस पार्टी का पतन शुरू हुआ तब खांटी माने जाते रहे कांग्रेसी भी पाला बदलकर आरजेडी, जेडीयू या बीजेपी में चले गए. लेकिन सदानंद सिंह पार्टी के प्रति अपनी नैतिकता को बनाए रखते हुए उसी में बने रहे. उनका निधन 68 साल की उम्र में 8 सितम्बर 2021 को हो गया. भागलपुर के कहलगांव सीट से 9 बार सांसद रहे. वर्ष 2000 से 2005 तक बिहार कैबिनेट के सिंचाई विभाग के मंत्री रहे है.
मुसाफिर पासवान- मुसाफिर पासवान बिहार में मुजफ्फरपुर जिले की बोचहां विधानसभा सीट से विधायक थे. 2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी से उन्हें टिकट मिला था. इनका निधन 25 नवंबर 2021 को हो गया.
शशि भूषण हजारी- ये बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में JDU के उम्मीदवार थे. जो कुशेश्वरस्थान सीट से चुनाव लड़ थे.जदयू विधायक हेपेटाइटिस बी नामक बीमारी से लम्बे समय से ग्रसित थे. शशिभूषण हजारी दरभंगा के कद्दावर नेता थे. लोग उन्हें उनकी सादगी और जनता से जुड़ाव के लिए काफी पसंद करते थे.उन्होंने 1 जुलाई 2021 को अंतिम सांस ली. शशिभूषण हजारी ने पहली बार 2010 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद 2015 का चुनाव उन्होंने जदयू के टिकट पर महागठबंधन में रहते हुए लड़ा था और जीत दर्ज की थी. बीते साल 2020 में शशिभूषण ने जदयू के टिकट पर फिर जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाई थी.
अजीत सिंह – ये राष्ट्रीय लोक दल के नेता थे. अजीत सिंह (12 फ़रवरी 1939 – 6 मई 2021) एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र थे. वे भारत के कृषि मंत्री रहे और वो 2022 से केन्द्र की यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे.इसके अलावा राष्ट्रीय लोक दल के लम्बे समय तक अध्यक्ष रहे. उत्तर प्रदेश के बागपत से निर्वाचित सांसद भी रहे थे. 6 मई 2021 को गुरुग्राम में कोविड-19 से उनकी मृत्यु हो गयी.
वीरभद्र सिंह- वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को हुआ. ये हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे. वीरभद्र सिंह छ: बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 28 मई 2009 को इस्पात मंत्री बनाए गये थे. 87 साल के वीरभद्र सिंह ने 8 july 2021 शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. दो बार कोरोना संक्रमण के बाद आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए.
सुब्रता मुख़र्जी- तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता एवं पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री रहे सुब्रत मुखर्जी को इतिहास में एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर याद किया जाएगा, जिन्होंने बंगाल की राजनीति में एक कुशल राजनीतिज्ञ के अलावा एक सक्षम प्रशासक के रूप में 50 से भी अधिक वर्षों तक काम कर अपनी विशेष पहचान बनाई. मुखर्जी का 75 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के कारण 5 नवंबर को एक सरकारी अस्पताल में निधन हो गया था.वह बंगाल सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का कार्यभार संभाल रहे थे.
के.आर गौरी अम्मा – केरल की राजनीति में हमेशा आयरन लेडी (Iron Lady) के नाम से जानी जाने वाली गौरी अम्मा ने एक प्राइवेट अस्पताल में 11 मई 2021 को अंतिम सांस ली.वे 1957 में दुनिया की पहली लोकतांत्रिक तौर पर निर्वाचित कम्युनिस्ट सरकार के मंत्रिमंडल की सदस्य थी. उन्होंने उनके लंबे राजनीतिक करियर में 16 सालों तक कम्युनिस्ट व कांग्रेस के 6 कैबिनेट में वे राज्य मंत्री रही.आपको बता दे उन्हें 1994 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पार्टी से बाहर कर दिया गया था. 14 जुलाई 1919 में केरल के अलाप्पुझा जिले के पट्टानक्कड़ में जन्मी गौरी अम्मा ने तिरुवनंतपुरम स्थित गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की.