PATNA : बिहार के सबसे पुराने सरकारी पटना डेंटल कॉलेज (Patna Dental College) की मान्यता खतरे में पड़ सकती है. इस अस्पताल में पढ़ाई से लेकर इलाज तक के लिए उपलब्ध सुविधाओं पर डेंटल कौंसिल ऑफ़ इंडिया ने सवाल उठाया है. डीसीआई ने अपनी रिपोर्ट में डेंटल कॉलेज की कई कमियों को उठाया है. डीसीआई की टीम इस वर्ष अगस्त में डेंटल कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंची थी.
टीम में बर्दवान के डॉ. जीबन मिश्रा, रोहतक के डॉ. दिव्य कालरा, पुडुचेरी के डॉ. रमेश बाबू एमआर ने निरिक्षण किया था. टीम ने बीडीएस और एमडीएस कोर्स के साथ छात्रों व शिक्षकों से सम्बंधित सुविधाओं का निरिक्षण किया था. रिपोर्ट में टीम ने कॉलेज में बीडीएस और एमडीएस शिक्षकों की घोर कमी की बात कही थी. कहा कि बीडीएस से लेकर एमडीएस तक में प्रोफेसर, लेक्चरर, ट्वट पर कई रिक्त हैं. जबकि दो साल पहले ट्वटर से लेकर प्रोफेसर तक के पदों के लिए इंटरव्यू लिया गया था. पर आजतक इसका रिजल्ट प्रकाशित नहीं हुआ.
यहाँ तक कि डीसीए के प्रावधानों के खिलाफ जाकर तय उम्र से अधिक और एक ट्वटर को प्रिंसिपल का पद देने पर भी डीसीए ने सवाल उठाए हैं. टीम ने बेडों का विवरण, कार्यकर्त स्टाफ, इलाज में काम आनेवाली वस्तुओं की जानकारी कॉलेज प्रशासन द्वारा उपलब्ध नहीं कराए जाने की बात कही. कहा कि वर्षों पुराने इस कॉलेज और अस्पताल में दांत की ओपीजी एक्सरे जैसी सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. आनेवाले मरीजों को पूरी दवाइयां भी नहीं दी जाती. इस मेडिकल कॉलेज का अपना जांच वैन भी नहीं है.