DESK : रंगों का त्योहार होली (Holi) हमारे देश में बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। कहते हैं की होली के दिन गिले सिकवे भुला कर सभी एक हो जाते हैं। होली के दिन से ही हिंदी मास चैत्र की शुरुआत होती है। पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को जिन्दा जलाने के उद्देश्य से प्रहलाद की बुआ होलिका उन्हें ले कर आग में बैठ गयी थी। होलिका को वरदान था की आग से वो नहीं जलेगी। लेकिन प्रहलाद की भक्ति उसके वरदान पर भारी पड़ी और होलिका उस आग में जल गयी जबकि प्रहलाद बच गए। तभी से हर वर्ष फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन और उसके अगले दिन होली मनाई जाती है।
इस बार होलिका दहन 17 मार्च को और होली 19 मार्च को मनेगी। खास बात यह है कि इस बार मिथिला और वाराणसी पंचांग के जानकार फाल्गुन में पड़ने वाले पर्व-त्योहारों की तिथियों को लेकर एकमत हैं।
आचार्य माधवानंद (माधव जी) कहते हैं कि इस बार 17 मार्च को होलिका दहन और 19 मार्च को होली मनेगी। वाराणसी पंचांग के जानकार पंडित प्रेमसागर पांडेय कहते हैं कि 17 मार्च को रात 12 बजकर 57 मिनट के बाद होलिका दहन का योग बन रहा है। इसके पहले भद्रा है, वह भी पृथ्वीलोक पर। भद्रा में होलिका दहन नहीं हो सकता है। 18 मार्च को दोपहर 12.53 बजे तक पूर्णिमा स्नान होगा और 19 मार्च को लोग होली मनाएंगे। आचार्य माधवानंद कहते हैं कि मिथिला पंचांग के अनुसार 3 मार्च को जनकपुर परिक्रमा शुरू होगी। 3 मार्च को ही रामकृष्ण परमहंस की जयंती मनायी जाएगी, जबकि 15 मार्च को संक्रांति पड़ रहा है।
राजधानी में 22 जगहों से शिव बारात निकलेगी
फाल्गुन गुरुवार से शुरू हो गया। इसमें कई पर्व-त्योहार पड़ रहे हैं। कृष्णपक्ष चतुर्दशी (1 मार्च) को महाशिवरात्रि मनेगी। भगवान शंकर का यह त्योहार राजधानी में पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। पटना में महाशिवरात्रि के मौके पर राजधानी के 22 जगहों से शिव बारात निकालेगी। इसमें भूत-पिशाच, गण, गंधर्व आदि का वेष धारण कर भक्त चलते हैं। पटना में बड़ी संख्या में लोग उपवास करते हैं।