चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित कर दी हैं। इसके साथ ही बिहार में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। आज से और अब से हर राजनीतिक दल और भावी उम्मीदवार इसके पालन के लिए बाध्य होगा। देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत पारदर्शी चुनावों के सफल आयोजन की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है। इसलिए चुनाव आयोग ‘चुनाव आचार संहिता’ लागू करता है जिसका पालन चुनाव खत्म होने तक हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना होता है। कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है और उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा सकती है।
वैसे इस बार बिहार में चुनाव ऐसे वक्त में हो रहे हैं जब पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है। ऐसे में चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव के लिए अपनी गाइडलाइन भी जारी की है। इसके मुताबिक विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने के लिए कोई तामझाम नहीं होगा। प्रत्याशी ऑनलाइन पर्चा दाखिल कर सकेंगे। घर-घर चुनाव प्रचार की इजाजत होगी लेकिन इसमें पांच से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकेंगे। रोड शो जैसे कार्यक्रमों में काफिले में 5 से अधिक गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं होगा।
चुनाव आचार संहिता के सामान्य नियम
आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाने तक लागू रहती है। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही आचार संहिता लगती है और वोटों की गिनती होने तक जारी रहती है।
कोई भी दल ऐसा काम न करे, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े या घृणा फैले।
राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम और नीतियों तक सीमित हो, न कि व्यक्तिगत।
धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
मत पाने के लिए भ्रष्ट आचरण का उपयोग न करें। जैसे-रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना आदि।
किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार, अहाते या भूमि का उपयोग न करें।
किसी दल की सभा या जुलूस में बाधा न डालें।
राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करेंगे, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएं आहत होती हों।
आम लोगों के आचार संहिता के नियम
चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद अगर किसी व्यक्ति के पास लाइसेंसी हथियार है तो उसे जमा कराना पड़ता है। नहीं तो अगर अगर हथियार के साथ पकड़े गए तो जेल भी जाना पड़ सकता है।
अवैध हथियार या अवैध तरीके से हथियार रखने वालों पर भी कार्रवाई हो सकती है।
सोशल मीडिया पर चुनाव संबंधित भड़काऊ पोस्ट या सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने वाला पोस्ट करने पर भी कार्रवाई हो सकती है।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर किसी व्यक्ति या समूह को किसी विशेष राजनीतिक पार्टी और नेता को वोट करने के लिए उकसाने पर भी कार्रवाई हो सकती है।
मतदान के दिन संबंधी नियम
अधिकृत कार्यकर्ताओं को बिल्ले या पहचान पत्र दें।
मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची सादे कागज पर हो और उसमें प्रतीक चिह्न, अभ्यर्थी या दल का नाम न हो।
मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित न की जाए।
मतदान केंद्र के पास लगाए जाने वाले कैंपों में भीड़ न लगाएं।
कैम्प साधारण होने चाहिए।मतदान के दिन वाहन चलाने पर उसका परमिट प्राप्त करें।
राजनीतिक सभाओं से जुड़े नियम
सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को दी जाए।
दल या अभ्यर्थी पहले ही सुनिश्चित कर लें कि जो स्थान उन्होंने चुना है, वहां निषेधाज्ञा तो लागू नहीं है।
सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति पहले प्राप्त करें।
सभा के आयोजक विघ्न डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता करें।
जुलूस संबंधी नियम
जुलूस का समय, शुरू होने का स्थान, मार्ग और समाप्ति का समय तय कर सूचना पुलिस को दें।
जुलूस का इंतजाम ऐसा हो, जिससे यातायात प्रभावित न हो।
राजनीतिक दलों का एक ही दिन, एक ही रास्ते से जुलूस निकालने का प्रस्ताव हो तो समय को लेकर पहले बात कर लें।
जुलूस सड़क के दायीं ओर से निकाला जाए।
जुलूस में ऐसी चीजों का प्रयोग न करें, जिनका दुरुपयोग उत्तेजना के क्षणों में हो सके।
सत्ताधारी दल के लिए नियम
कार्यकलापों में शिकायत का मौका न दें।
मंत्री शासकीय दौरों के दौरान चुनाव प्रचार के कार्य न करें।
इस काम में शासकीय मशीनरी तथा कर्मचारियों का इस्तेमाल न करें।
सरकारी विमान और गाड़ियों का प्रयोग दल के हितों को बढ़ावा देने के लिए न हो।
हेलीपेड पर एकाधिकार न जताएं।
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